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कॉपरेटिव बैंक घोटाले में अजित पवार और उनकी पत्नी को क्लीन चिट

 24 Apr 2024

आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनकी पत्नी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में क्लीन चिट दे दी है। ईओडब्ल्यू ने पवार से जुड़ी कंपनियों में कोई भी आर्थिक घोटाला होने की बात से साफ़ इनकार कर दिया है।पवार से जुड़ी कंपनियों पर जिला और सहकारी बैंकों को 2007 से लेकर 2017 तक 25 करोड़ रूपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप था।ईओडब्ल्यू ने पवार और उनके करीबियों पर दो बार जाँच की और  आर्थिक अपराध में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला।


ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट में क्या कहा गया है

आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार और उनकी पत्नी  के साथ-साथ अजित पवार के भतीजे रोहित पवार से जुड़ी कंपनियों को भी क्लीन चिट दे दी है।इसके अलावा पूर्व मंत्री प्राजक्त तानपुरे को भी क्लीन चिट दी जा चुकी है। ईओडब्ल्यू ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि पवार से जुड़ी किसी भी कंपनी में कोई भी ग़ैर गतिविधि नहीं पायी गयी है।

ईओडब्ल्यू ने कहा कि कर्जा देने और शुगर मिल को बेचने की प्रक्रिया में बैंक को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ। ईओडब्ल्यू ने ऐसे ही एक रिपोर्ट 2020 में दाख़िल की थी, लेकिन अचानक ईओडब्ल्यू ने कोर्ट जाकर अजीत पवार और भतीजे रोहित पवार के ख़िलाफ मामले को फिर से जाँचने की माँग की थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जरांदेश्वर को-ऑप शुगर मिल को साल 2010 में नीलाम करने के लिए नोटिस जारी किया गया, जिसके चलते शुगर मिल को 65.8 करोड़ रुपयों में गुरु कमोडिटीज़ सर्विसेज को बेच दिया गया था। लेकिन कुछ सालों बाद गुरु सर्विसेज ने शुगर कंपनी को जरांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया, जिसमें कंपनी के डायरेक्टर अजीत पवार के रिश्तेदार राजेंद्र घागडे थे। शुगर कंपनी को दो हफ्तों के बाद ही जय एग्रोटेक से 20.3 करोड़ रूपये मिले, जिसकी डायरेक्टर अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार थीं। लेकिन सुनेत्रा ने बाद में 2008 में जय एग्रोटेक कंपनी से इस्तीफ़ा दे दिया। इसी लेन-देन की जाँच ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही थी।


क्या आरोप था

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अजित पवार और भतीजे रोहित पवार से जुड़ी कंपनियों ने जिला और सहकारी बैंकों से लोन लिया था। यह लोन 1 जनवरी 2007 से लेकर 31 दिसंबर 2017 के दौरान लिया गया था।एक एफआईआर में यह दावा किया गया था कि अनियमितता के चलते बैंकों को 25 करोड़ रुपयों का नुकसान पहुंचा।ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया था कि कंपनियों और बैंकों के बीच जो लेनदेन हुआ है, उसमें कई अनियमितता पायी गयी हैं। लेकिन अब  सब कुछ ठीक पाया गया। 

अजित पवार को मिली क्लीनचिट के पीछे उनका पाला बदल बताया जाता है। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया और उपमुख्यमंत्री बन गये। विपक्ष का कहना है कि उन्हें मिली क्लीनचिट इसी का इनाम है।